विषय सूची
- विषय सूची:
- प्रथम अध्याय (पृष्ठ 23 से 42 तक):
- मंगलाचरण, उपाख्यान, प्रयोग विधि, इंद्रजाल कार्य में प्रवृत्त होने से पूर्व का कार्य.
- स्वर्गस्थ का मंत्र, षट्-कर्माणि षट् कर्मों के लक्षण, कर्माणि प्रयोगम्, षट् कर्मों की देवियाँ, अथ कर्म दिशा वर्णन, अथ षट्-कर्माणि काल विचारम्, ऋतु विचार, रंग और कर्म, शुभ दिन, षट्कर्म चक्रम्, दिशा-शूल, दिशा शूल चक्र योगिनी विचार, योगिनी चक्रम्, राशि चक्रम्, तिथि विचार, आसन भेद, दिशा विचार, जप विचार, मन्त्रों का लिङ्ग-भेद, शुभ कार्य चक्र, मन्त्र के लिये प्रकृति वर्णन, तिथि वर्णन, कुम्भ स्थापन की विधि.
- हवन की सामग्री, हवन के लिये शुद्ध मुद्रा, माला का निर्णय, तुलसी की माला, मूंगे की माला, रुद्राक्ष की माला, भेषज की माला, स्थावर की माला, माला फेरने में अँगुली निर्णय, मंत्र सिद्धि के पूर्व कर्म.
- द्वितीय अध्याय (पृष्ठ 43 से 65 तक):
- अग्निस्तम्भन, शत्रुमारण मन्त्र, सर्वोपरी मोहन मन्त्र, शराब नष्ट होय, धोबी के कपड़े नाश होवे, सर्व मोहिनी तिलक, दूसरे प्रकार का तिलक, तीसरा तिलक, सभा मोहिनी, स्त्री मोहिनी, दूसरी मोहिनी, राज मोहिनी, मोहिनी तिलक, पशु-पक्षी मोहिनी, तन्त्र स्तम्भन प्रयोग, बुद्धि स्तम्भन, शत्रु स्तम्भन, तलवार की धार बंधे, लोक वशीकरण तन्त्र, श्रेष्ठ वशीकरण, मोहिनी पुतली का वशीकरण मन्त्र, रंजा वशीकरण मन्त्र, वेश्या वशीकरण मन्त्र, स्त्री वशीकरण, स्त्री वशीकरण लेप, नवीन वशीकरण, स्वामी वशीकरण, पति वशीकरण, वशीकरण बुकनी.
- प्रथम अध्याय (पृष्ठ 23 से 42 तक):
- तृतीय अध्याय (पृष्ठ 66 से 116 तक):
- शत्रु का शरीर फूलने का यन्त्र, बाजार नष्ट होने का यन्त्र, ढोल फूटने का यन्त्र, परदेशी को बुलाने का यन्त्र, मस्त होने का यन्त्र, स्त्री वशीकरण यन्त्र, वचन सिद्धि यन्त्र, बुद्धि उत्पन्न होने का यन्त्र, मसान सगाने का यन्त्र, जागिनी का यन्त्र, विरोध होने का यन्त्र, भूत-प्रेत नाशक यन्त्र, जुआ जीतने का यन्त्र, कुत्ता भुकने का यन्त्र, मोहिनी यन्त्र, कलह होने का यन्त्र, व्यापार वृद्धि यन्त्र, नामर्द बनाने का यन्त्र, अधिक भोजन खाने का यन्त्र, चाक पर बासन सटने का यन्त्र, रतिकार्य में पराक्रमी होने का यन्त्र, पुरुष वशीकरण यन्त्र, कर्मनाशक यन्त्र, शत्रुमारण यन्त्र, शत्रु मुख भंजन यन्त्र, शत्रु भय नाशक यन्त्र, कष्ट छूटने का यन्त्र, राजमान यन्त्र, कान दर्द नाशक यन्त्र, शत्रु वशीकरण यन्त्र, शूल होने का यन्त्र, अर्द्ध-कपारी का यन्त्र, शत्रु मुंह सुजाने का यन्त्र, नारी कष्ट निवारण यन्त्र, गर्भ स्तम्भन यन्त्र, आधा शीशी का यन्त्र, सर्प विनाशक यन्त्र, राजा वशीकरण यन्त्र, गायों के दूध बढ़ाने का यन्त्र, बुरे स्वप्नों का यन्त्र, शत्रु उच्चाटन यन्त्र, तिजारी ज्वर का यन्त्र, सर्व सिद्धि यन्त्र, दुश्मनी कराने का यन्त्र, भूत दिखाई पड़ने का यन्त्र, प्रेम बढ़ाने का यन्त्र, मसान का मन्त्र, क्लेश दूर करने का यन्त्र, आकर्षण यन्त्र, घर लौटाने का यन्त्र, वाचा स्तम्भन यन्त्र.
- चतुर्थ अध्याय (पृष्ठ 117 से 1१८ तक):
- चुटकुले, बिच्छू काटने की औषधि.
- पंचम अध्याय (पृष्ठ 119 से 1४५ तक):
- यक्षिणी साधन, यक्षिणियों के नाम, सिद्ध करने का समय, यक्षिणी साधन क्रिया, कुबेर आराधना मन्त्र नियम.
- छठा अध्याय (पृष्ठ 146 से 1५9 तक):
- मन्त्रों से रोगों का इलाज:
- आधा शीशी का मन्त्र, आँख दुखने का मन्त्र, पीलिया का मन्त्र, कुत्ता काटने का मन्त्र, बिच्छू के विष उतारने का मन्त्र, प्रेत वशीकरण मन्त्र, आयु बढ़ाने का मन्त्र, फोड़ा झाड़ने का मन्त्र, पानी से दूध होने का मन्त्र, आँख की फुली काटने का मन्त्र, भूख लगने का मन्त्र, डुबके का मन्त्र, तिजारी ज्वर का मन्त्र, चौथिया निवारण मन्त्र, बर्नी का मन्त्र, प्रेत निवारण का मन्त्र, गर्भधारण तथा रक्षा मन्त्र, शिशु रोदन मन्त्र, टोना का मन्त्र, नेत्र बाधा निवारण मन्त्र, कर्ण बाधा निवारण मन्त्र, कंठ कष्ट मन्त्र, मस्तक पीड़ा का मन्त्र, नकसीर निवारण मन्त्र, ज्वर निवारण मन्त्र, बवासीर का मन्त्र, विदेशी को घर तुलवाने का मन्त्र, नजर झाड़ने का मन्त्र, सुई निकालने का मन्त्र, पशुओं के कीड़े झाड़ने का मन्त्र, दाढ़ दर्द का मन्त्र, दाढ़ के कीड़े का मन्त्र.
- मन्त्रों से रोगों का इलाज:
- सातवाँ अध्याय (पृष्ठ 160 से 162 तक):
- (विविध चमत्कार):
- शास्त्रार्थ जीतने का मन्त्र, मदारी को पछाड़ने की विधि, दामिनी (बिजली) नाशक मन्त्र, चोरी निकालने का मन्त्र, डाकिनी मूँड़ने का मन्त्र, भूत प्रेत बुलाने का मन्त्र, बीन बाँधने का मन्त्र, साँप निकालने का मन्त्र, पानी पर चलने का मन्त्र.
- (विविध चमत्कार):
- सातवाँ अध्याय जारी:
- रात के समय साँप दिखाई देना, बिच्छू दिखाई देना, बिना दीपक के अक्षर दिखाई देना, गुप्त होने की विधि, सिद्ध तेल, अम्बा बनाने की विधि, शत्रु का पेशाब बन्द हो, सूर्य का रथ दिखाई देना, दिन में तारे दिखाई देना, अनोखा खड़कऊँ, कच्चे मटके में पानी भरना, अण्डा उबालने की विधि, चलनी में पानी भरना, अण्डा उछालना, बबूल का काँटा चबाना, मुँह में आग रखना, खुद आग का पैदा होना, खेत की रखवाली हो, शीशी आगे से भरी दिखाई देना, दीवार पर आग दिखाई देना, शीशी में अण्डा उतारना, नींबू उछालने की विधि, हाथ पर सरसों जमाना, कोयले को हरा करना, जले हुए बोरे में अंगूठी लटकाना, अग्नि से बिस्तर न जले, आग से उँगली न जले, बन्दूक की गोली मुँह से छूटना, लोहे को ताँबा बनाना, कपड़ों में आग लगाना, तोप के समान आवाज करना, आग खुद जले, घड़ी को गायब करना, छाते पर गिलाफ चढ़ाना, अक्षर बड़े बिखरे करना, वर्षा में दीपक जले, फुलझड़ी बिना रंग का पीला होना, जादू का लाल रंग बनाना, अण्डे का नाच, सुनहरे सितारे, लाल बारूद, नीली बारूद, ज़र्द बारूद, गोल फुलझड़ी, महताबी, नकली महताबी, रंगीन महताबी, बाण बनाना, नारंगी रंग वाली बारूद, नीलामीला बनाना, अँगूठी कबूतर में से निकलना, भूत प्रेतादि दोष निवारण योग, पुत्र ही पैदा होय, प्रसव दुख निवारण.
- आठवाँ अध्याय (पृष्ठ 163 से 228 तक):
- (अन्य उपायदे विषय):
- वशीकरण नुस्खे, लाल नीली स्वाही बनाने की रीति, सुनहरा मुलम्मा, चाँदी को मुलम्मा, सोने की चीज को चमकाना, नीलम बनाना, हीरा बनाना, फिरोजा बनाना, पुखराज बनाना, आदि अनेकों चमत्करिक नुस्खे दिए गए हैं.
- (अन्य उपायदे विषय):
छवियों का विवरण:
- जय श्री महाकाली (पृष्ठ 9):
- एक देवी का चित्र, संभवतः महाकाली, जिनके कई हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में तलवार और दूसरे में एक कटा हुआ सिर है। उनके नीचे एक आकृति लेटी हुई दिखाई देती है। चित्र के नीचे "ॐ महाकाल्यै नमः" लिखा है.
- जय माता श्री छिन्नमस्ता की (पृष्ठ 9):
- देवी छिन्नमस्ता का चित्र, जिसमें देवी स्वयं अपना सिर काट रही हैं और उनके कटे हुए गले से रक्त की तीन धाराएँ निकल रही हैं, जो उनकी दो सहायक देवियों और स्वयं के मुख में जा रही हैं। उनके गले में मुंडों की माला है.
- माता श्री बगलामुखी देवी (पृष्ठ 10):
- एक देवी का चित्र, संभवतः बगलामुखी देवी, जो एक सिंहासन पर बैठी हैं और एक पुरुष को खींच रही हैं, जिससे वह पुरुष नीचे गिर रहा है। चित्र के नीचे बगलामुखी देवी का मंत्र लिखा है.
- श्री हनुमद् यन्त्रम् (पृष्ठ 11):
- हनुमान जी का एक चित्र और उसके नीचे एक गोलाकार यन्त्र बना हुआ है जिसमें कमल के फूल की पंखुड़ियाँ और उनके चारों ओर अक्षर/मंत्र लिखे हुए हैं। बीच में "साध्यनाम" लिखा है। यन्त्र के नीचे लिखा है कि इसे भोजपत्र पर लिखकर ताबीज बनाकर पहनने से भूत प्रेतादि बाधाएँ नहीं सतातीं.
- श्री रुद्र यन्त्रम् (पृष्ठ 13):
- एक चौकोर फ्रेम के अंदर एक जटिल गोलाकार यन्त्र। यन्त्र के नीचे "ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय" लिखा है और बताया गया है कि इसे भोजपत्र में लिखकर ताबीज बाँधने से शिवजी की विशेष कृपा तथा धन-धान्य की वृद्धि होती है.
- श्री भैरव यन्त्रम् (पृष्ठ 14):
- एक चौकोर फ्रेम के अंदर एक जटिल गोलाकार यन्त्र जिसमें एक षटकोण और तारे जैसी आकृतियाँ हैं। यन्त्र के नीचे लिखा है कि इसे भोजपत्र में लिखकर ताबीज में रखकर बाँधने से सब प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं.
- श्री कामाक्षा देवी जी (पृष्ठ 16):
- कई हाथों वाली देवी कामाक्षा का चित्र, जो एक सिंह पर बैठी हैं और उनके आसपास अन्य देवियाँ भी हैं। चित्र के नीचे "ॐ कामाक्षा देव्यै नमः" लिखा है.
- श्री श्री दुर्गा देवी (पृष्ठ 18):
- देवी दुर्गा का चित्र, जो एक सिंह पर बैठी हैं और उनके हाथों में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र हैं। चित्र के नीचे एक संस्कृत श्लोक लिखा है.
- श्री तारा देवी (पृष्ठ 19):
- देवी तारा का चित्र, जो एक मृत शरीर पर खड़ी हैं और उनके हाथों में खड्ग और अन्य अस्त्र हैं। चित्र के चारों ओर तारों का घेरा है। चित्र के नीचे एक संस्कृत श्लोक लिखा है.
- श्री सरस्वती देवी (पृष्ठ 16):
- देवी सरस्वती का चित्र, जो वीणा बजा रही हैं और उनके साथ हंस और कमल के फूल हैं। चित्र के नीचे "श्री सरस्वत्यै नमः" लिखा है.
- सीतारामानुरागी हनुमान (पृष्ठ 20):
- श्री राम और सीता के भक्त हनुमान जी का चित्र, जो बैठे हुए हैं। चित्र के नीचे "ॐ हरि मर्कट मर्कटाय वं वं वं वं वं फट् स्वाहा" लिखा है.
- श्री महिषासुर मर्दिनी (पृष्ठ 21):
- देवी महिषासुर मर्दिनी का चित्र, जो महिषासुर का वध कर रही हैं और सिंह पर विराजमान हैं। उनके कई हाथ हैं जिनमें अस्त्र-शस्त्र हैं। चित्र के नीचे एक संस्कृत श्लोक लिखा है.
- शुभम् निशुम्भ हन्त्री भगवती (पृष्ठ 22):
- शुंभ और निशुंभ का वध करने वाली भगवती देवी का चित्र, जो एक शेर पर बैठी हैं और उनके कई हाथ हैं जिनमें अस्त्र-शस्त्र हैं। चित्र के चारों ओर तारों का घेरा है। चित्र के नीचे एक संस्कृत श्लोक लिखा है.
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